Opinion: आज खाद की कमी, कल खाद्यान्न संकट; G20 में संभावित संकट से लड़ने का PM मोदी का जोरदार मंत्र – pm modi raised issue of possible fertilizer and food crisis during g20 summitin bali indonesia – News18 हिंदी


नई दिल्ली: इंडोनेशिया के बाली में दो दिनों तक दुनियभार के दिग्गज नेता एक मंच पर आए लेकिन इस बार भी पीएम मोदी भीड़ से अलग नजर आए. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन हों या फिर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, पीएम मोदी की गर्मजोशी ने इस पूरे समिट में चार चांद लगा दिए. ये समिट ऐसे समय में हुआ जिस समय दुनिया यूक्रेन संकट से पैदा हुई चुनौतियों का सामना कर रही है. वहीं, कोविड-19 महामारी से दुनिया अभी पूरी तरह उबर नहीं पाई है और जलवायु परिवर्तन की चुनौती मुंह बाए खड़ी है और इसका असर यह हुआ है कि गरीब देशों में खाद्यान्न का उत्पादन घट रहा है और बेमौसम बारिश, युद्ध और बाढ़ से किसानों के सामने अपनी फसलों को बचाने का संकट आ खड़ा हुआ है. कई देशों में खाद्य चीजों के दाम भी आसमान छू रहे हैं. जी-20 वैसे तो दुनिया के सबसे विकसित और विकासशील देशों का समूह है लेकिन पीएम मोदी ने इस बड़े मंच से खाद और खाद्यान्न की समस्या को उठाया ताकि गरीब और विकासशील देशों के किसानों की समस्याओं को एक मंच मिल सके.

दुनियाभर में खाद्यान्न का संकट
पीएम मोदी ने विश्व स्तर पर फर्टिलाइजर (खाद) की आपूर्ति के बिगड़ने का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे पूरी दुनिया में खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा होने वाला है. दुनिया ने इसका समाधान नहीं तलाशा तो फर्टिलाइजर की आज की कमी कल के अनाज संकट का कारण बन जाएगी. पीएम मोदी ने खाद और खाद्यान्न की आपूर्ति बनाए रखने के लिए सभी देशों के प्रमुखों को परस्पर समझौते कर आगे बढ़ने की सलाह दी. कुछ आंकड़ों पर गौर करते हैं. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) के अनुसार, कोविड-19 महामारी से पहले 2019 में दुनिया में 13.5 करोड़ लोग भीषण खाद्य संकट से जूझ रहे थे. 2022 की शुरुआत में इनकी संख्या 28.2 करोड़ हो गई और आज 82 देशों में 34.5 करोड़ लोग भीषण खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं. इतना ही नहीं, खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, 2021 में पांच लाख लोगों की तो भूख से मौत हो गई. ऐसे में जी-20 समिट में पीएम मोदी ने खाद की कमी को खाद्यान्न संकट के लिए मुख्यतौर पर जिम्मेदार ठहराया.

खाद की कमी का अंकगणित
दरअसल, पूरी दुनिया इस समय खाद की कमी से जूझ रही है. इसकी मुख्य वजह है रूस और यूक्रेन का युद्ध. यूक्रेन में रूस के विशेष सैनिक कार्रवाई शुरू करने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर बेहद सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं. रूस और बेलारूस पोटैशियम क्लोराइड के प्रमख निर्यातक हैं, जिसका उर्वरक उत्पादन में इस्तेमाल होता है. ऐसे में खाद के दाम आसामान छू रहे हैं और इनका पूरी दुनिया में उत्पादन कम हो गया है. एशिया और अफ्रीका के एक बड़े हिस्से में कम अनाज पैदा होने की आशंका गहरा गई है. इसके पीछे एक बड़ा कारण उर्वरकों की तेजी से बढ़ीं कीमतें हैं. इससे पूरी दुनिया के एक नए तरह के खाद्यान्न संकट में फंसती नज़र आ रही है. इंटरनेशनल फर्टिलाइजेशन एसोसिएशन ने भविष्यवाणी की है कि इस साल दुनिया भर में रसायनिक खादों के इस्तेमाल में सात फीसदी की गिरावट आएगी. इनका सबसे ज्यादा इस्तेमाल एशिया और अफ्रीका में घटेगा. इसका असर फसलों के उत्पादन पर होगा और खाद की समस्या अगले एक साल तक बनी रह सकती है

महंगे खाद से बढ़ी मुश्किल
कोविड के बाद पूरी दुनिया में महंगाई का संकट है. दुनियाभर में गैस के दाम बढ़ने की वजह से खाद भी महंगा हो गया है. नाइट्रोजन आधारित खाद को बनाने में नेचुरल गैस का प्रयोग किया जाता है. नेचुरल गैस के दाम बढने के कारण खाद महंगा हो गया है. यूरोपीय कमीशन के मुताबिक, युद्ध के बाद से ही खाद के दामों में 50 प्रतिशत की बढोतरी हुई है. भारत के कई राज्यों में भी खाद की कमी है. कई जगह लोग डीएपी की जमाखोरी कर रहे हैं. खाद की कीमतें बढ़ने के कारण भारत में भी अनाज के दाम आसामान छू रहे हैं. हालांकि, भारत ने यूक्रेन युद्ध के बाद रूस से खाद और उसको बनाने में उपयुक्त होने वाले केमिकल्स का आयात बढ़ाया है. लेकिन बावजूद इसके भारत में भी खाद की कीमतें नियंत्रित नहीं हो पाई हैं. रूस के साथ हुई लड़ाई के कारण इस बार यूक्रेन में भी गेहूं की बुआई नहीं हुई है. कई देश यूक्रेन से गेहूं आयात करते हैं. इससे कई देशों में खाद्यान्न की कीमतें आसामन छू सकती हैं.

बेलारूस और रूस भूमिका
पूरी दुनिया में रूस और बेलारूस दो ऐसे देश हैं, जो नाइट्रोजन और पोटाश की आपूर्ति करते हैं लेकिन मौजूदा युद्ध के कारण दुनियाभर में नाइट्रोजन और पोटाश की कमी हो गई है. वहीं, रूस और यूक्रेन पूरी दुनिया का एक तिहाई गेहूं का भी उत्पादन करते हैं. यूक्रेन युद्ध से पहले दुनिया को 6 मिलियन टन गेहूं का निर्यात करता था जो घटकर अब दो मिलियन टन रह गया है.

पीएम मोदी की अपील के मायने
जी-20 देशों की चेयरमैनशिप अब भारत के पास आ गई है. ऐसे में पीएम मोदी ने खाद और खाद्यान्न का मामला उठाकर रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच दुनिया का ध्यान आकर्षण करने का काम किया है. पीएम मोदी जानते हैं कि भारत विकासशील देशों की नुमाइंदगी करने वाले देशों का नेतृत्व कर सकता है. इसलिए उसे ऐसे मुद्दे उठाने चाहिए, जिससे दुनिया में खुशहाली आए.

Tags: G20 Summit, PM Modi, Russia ukraine war



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