Diabetes control: टाइप 1 डायबिटीज को जड़ से खत्म करने की दवा तैयार, अमेरिका में मिली इस्तेमाल की मंजूरी – type 1 diabetes control drug teplizumab approves by us drug adminitration – News18 हिंदी


हाइलाइट्स

अमेरिका में टाइप 1 डायबबिटीज के लिए दवा टेपलीजुमैब Teplizumab को Tzield के नाम से बाजार में उतारा गया है.
यह दवा टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों को ठीक करने के बजाय बीमारी की जड़ को खत्म कर देती है.

Diabetes and Vitamin d deficiency: दुनिया में पहली बार टाइप 1 डायबिटीज की दवा बनकर तैयार हो गई है. अमेरिकी फुड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने इसकी मंजूरी दे दी है. इस दवा का नाम Teplizumab है. इस तरह टाइप 1 डायबिटीज की दवा बहुत जल्दी पूरी दुनिया के लिए हकीकत बन जाएगी. अमेरिकी डॉक्टरों ने डायबिटीज को खत्म करने के लिए इस कदम को मील का पत्थर माना है. टाइप 1 डायबिटीज बच्चों और किशोरों में होने वाली गंभीर बीमारी है. टाइप 1 डायबिटीज में पैन्क्रियाज में इंसुलिन हार्मोन बनता ही नहीं है. इसलिए टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित मरीज को इंसुलिन का इंजेक्शन लगाना अनिवार्य हो जाता है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक विश्व में लगभग 84 लाख लोगों को टाइप 1 डायबिटीज हैं. अगर यह दवा उन तक उपलब्ध हो जाए तो उनके लिए यह वरदान साबित हो सकती है और रोज इंजेक्शन लेने की झंझट से मुक्ति मिल सकती है. यह दवा टाइप 1 डायबिटीज के अगले स्टेज को तीन साल को लिए रोक देती है.

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यह दवा डायबिटीज को जड़ से खत्म करेगी
डेली मेल  की खबर के मुताबिक दवा टेपलीजुमैब Teplizumab को Tzield के नाम से बाजार में उतारा गया है. यह दवा टाइप 1 डायबिटीज के लक्षणों को ठीक करने के बजाय बीमारी की जड़ को खत्म कर देती है. यह दवा एक तरह से इम्यूनोथेरेपी है. यह दवा शरीर से कहती है कि पैनक्रिएटिक सेल्स पर आक्रमण मत करो. दरअसल, पैनक्रिएटिक सेल्स यानी पैनक्रियाज में बीटा सेल्स होते हैं जो इंसुलिन बनाता है. ये बीटा सेल्स जब नष्ट हो जाते हैं तो इंसुलिन हार्मोन नहीं बनता है. इंसुलिन हार्मोन ग्लूकोज को एनर्जी में बदल देता है लेकिन जब इंसुलिन नहीं बनता तो यह ग्लूकोज एनर्जी में बदलने के बजाय खून में चिपचिपा होकर जमा होने लगता है जो कई अन्य बीमारियों का कारण बनता है.

टाइप 1 डायबिटीज स्टेज 2 के मरीजों को दी जा रही है दवा
यह दवा बीटा सेल्स की रक्षा करती है जिसके कारण लोगों को अर्ली स्टेज में और समय मिल जाता है. इस स्थिति में लोगों को इंसुलिन पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है. अमेरिका में फिलहाल टाइप 1 डायबिटीज के स्टेज 2 के मरीजों को यह दवा देने की मंजूरी दी गई है. ऐसे मरीजों में ब्लड शुगर तो असमान्य हो जाता है लेकिन शरीर अभी भी थोड़ा बहुत इंसुलिन बनाता है. इसमें मरीज को दो सप्ताह के लिए यह दवा दी जाती है जो स्टेज तीन में अधिक गंभीर लक्षणों को दूर करने में मदद कर सकता है. इस तरह इस दवा के इस्तेमाल से इंसुलिन पर रोगी की निर्भरता को काफी हद तक कम किया जा सकेगा. दरअसल, स्टेज 3 में व्यक्ति के शरीर में इंसुलिन बनना बंद ही हो जाता है जिसके बाद मरीज को इंसुलिन लेना जरूरी हो जाता है.

क्या होता है टाइप 1 डायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज बच्चों, किशोरों ओर युवा बच्चों में अचानक होता है. यह एक तरह से ऑटोइम्यून डिजीज है. इस बीमारी में पैनक्रियाज इंसुलिन का पूर्ण निर्माण करने में अक्षम हो जाता है. टाइप 1 डायबिटीज के मरीजों का काम गोली से नहीं चलता. उसे रोजाना इंसुलिन लेना होता है. दिलचस्प बात यह है कि टाइप 2 डायबिटीज की तरह टाइप 1 डायबिटीज लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारी नहीं है. इसमें व्यक्ति का कोई दोष नहीं होता. टाइप 1 डायबिटीज क्यों होता है, इसके बारे में सटीक जानकारी अभी तक वैज्ञानिकों को नहीं मिल पाया है.

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