सरकार की कोटा व्यवस्था के कारण नवंबर-दिसंबर में सोयाबीन डीगम और सूरजमुखी तेल का आयात (जिसके देश के बंदरगाहों पर आने में कम से कम डेढ़ महीना लगेगा) पिछले साल से कम होने के आसार बन गये हैं।
विदेशी बाजार में गिरावट के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट देखने को मिली तथा सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल-तिलहन, बिनौला, कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई। बाकी तेल- तिलहनों के दाम स्थिर बने रहे।
कारोबारी सूत्रों ने कहा कि तेल कीमतों में जो गिरावट है वह सोमवार के भाव के मुकाबले है लेकिन सामान्य दिनों के भाव से यदि तुलना की जाये तो इसके दाम ग्राहकों की जेब पर भारी पड़ रहे हैं।
सरकार की कोटा व्यवस्था के कारण नवंबर-दिसंबर में सोयाबीन डीगम और सूरजमुखी तेल का आयात (जिसके देश के बंदरगाहों पर आने में कम से कम डेढ़ महीना लगेगा) पिछले साल से कम होने के आसार बन गये हैं। सोयाबीन डीगम तेल के आयात में लगभग चार लाख टन और सूरजमुखी तेल के आयात में लगभग एक लाख टन की कमी होने की पूरी संभावना है। इस स्थिति में देश में शादी- विवाह के सीजन के दिनों की मांग कैसे पूरी होगी इसपर सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा।
सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम तेल के शुल्कमुक्त आयात का कोटा निर्धारित किये जाने के बाद स्थिति यह थी कि इस निर्धारित मात्रा (दोनों तेल सालाना 20-20 लाख टन) के मुकाबले घरेलू मांग काफी अधिक है। सामान्य दिनों में इस कमी को अतिरिक्त आयात के जरिये पूरा किया जाता था। लेकिन अब अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए खाद्य तेल के आयात करने पर आयातकों को अतिरिक्त तेल के लिए 5.5 प्रतिशत का आयात शुल्क (अधिभार समेत) अदा करना होगा।
ऐसे में निर्धारित कोटे से अतिरक्त मात्रा में आयातित तेल, सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम, कोटा व्यवस्था वाले तेल से महंगा हो जायेगा जबकि बाजार में कीमतें सस्ते आयातित तेल भाव के हिसाब से निर्धारित होंगी। इस स्थिति में बाकी आयात लगभग ठप हो गया है और बाजार में ‘शार्ट सप्लाई’ (कम आपूर्ति) की स्थिति बनी हुई है।
सूत्रों ने कहा कि पिछले साल इन दिनों में मंडियों में सोयाबीन फसल की आवक प्रतिदिन 12-14 लाख बोरी की होती थी। इस बार यह आवक लगभग 8-8.5 लाख बोरी की ही है। इसी तरह बिनौला की भी आवक कम है।
इस कमी को पूरा करने के लिए विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
सूत्रों ने कहा कि इस कदम के जरिये सरकार अपेक्षा कर रही थी कि खाद्य तेलों के दाम में उपभोक्ताओं को लगभग साढ़े छह रुपये प्रति किलो की राहत मिले। पर नतीजा यह निकला है कि थोक में इन तेलों के दाम प्रीमियम देने के कारण पहले से भी महंगे हो गये हैं। उपभोक्ताओं को सोयाबीन डीगम लगभग 12 रुपये किलो और सूरजमुखी तेल 20-22 रुपये किलो महंगा खरीदना पड़ रहा है।
तेल संगठनों का दायित्व बनता है कि वह सरकार को वास्तविक बाजार स्थिति से अवगत कराये और सरकार को कोटा व्यवस्था को जल्द से जल्द समाप्त कर आयात पूरी तरह खोल देना चाहिये जिससे मांग और आपूर्ति की स्थिति सुधरेगी।
सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में लगभग एक प्रतिशत की गिरावट है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में कल रात 3.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
उन्होंने कहा कि अनिश्चित बाजार और विदेशों की मनमानी के जाल से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता खाद्य तेल मामलों में आत्मनिर्भरता हासिल करना ही हो सकता है जिसके लिए सरकार को किसानों को प्रोत्साहन एवं लाभकारी मूल्य सुनिश्चित कर तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना होगा।
मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 7,425-7,475 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,735-6,795 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,450 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,500-2,760 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 15,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,310-2,440 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,370-2,495 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,850 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,550 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,350 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,750 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,500 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,500 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,100-5,800 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज 5,510-5,560 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
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