पुणे (महाराष्ट्र). राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि 17वीं सदी के शासक छत्रपति संभाजी महाराज को उनके पिता द्वारा स्थापित स्वतंत्र मराठा राज्य ‘स्वराज्य’ के रक्षक या धर्म के रक्षक के रूप में देखना गलत नहीं है. विवाद पिछले महीने तब शुरू हुआ जब पवार के भतीजे और राकांपा के वरिष्ठ नेता अजीत पवार ने महाराष्ट्र विधानसभा में कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के सबसे बड़े पुत्र संभाजी ‘स्वराज्य-रक्षक’ थे, न कि ‘धर्मवीर’ जैसा कि कुछ दक्षिणपंथी हिंदू समूहों द्वारा चित्रित किया गया था.
इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे संभाजी महाराज का अपमान बताया. पुणे जिले के बारामती में शरद पवार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर समाज में कुछ लोग स्वराज्य के रक्षक के रूप में छत्रपति संभाजी महाराज के योगदान को याद करते हैं, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर कुछ तत्व उन्हें धर्मवीर कहते हैं और उनके काम को धार्मिक नजरिए से देखते हैं तो मुझे इससे भी कोई शिकायत नहीं है.’’ लेकिन उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि कुछ लोग धर्म-रक्षक या धर्मवीर की उपाधि का उपयोग नहीं करने की शिकायत कर रहे हैं.
पवार ने कहा- इस तरह के मुद्दों पर बहस करने का कोई कारण नहीं
पवार ने कहा कि इस तरह के मुद्दों पर बहस करने का कोई कारण नहीं है. उन्होंने कहा कि जो लोग संभाजी महाराज को ‘स्वराज्य रक्षक’ कहते हैं, वे छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद राज्य को आक्रमणकारियों से बचाने में उनकी भूमिका को स्वीकार कर रहे हैं.
सावरकर के लेखन को किसी ने भी मंजूरी नहीं दी
उन्होंने यह भी कहा कि संभाजी महाराज पर स्वतंत्रता सेनानी और ‘‘कभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सुप्रीमो रहे’’ वी डी सावरकर के लेखन को किसी ने भी मंजूरी नहीं दी, लेकिन यह कोई कारण नहीं है कि इसे बढ़ावा दें और राज्य के माहौल को खराब करें.
संभाजी महाराज ने 1681 से 1689 तक शासन किया
मराठा राज्य के दूसरे छत्रपति संभाजी महाराज ने 1681 से 1689 तक शासन किया. उन्हें मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर पकड़ लिया गया था और मार दिया गया था.
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FIRST PUBLISHED : January 04, 2023, 00:01 IST