भारत में ‘दिसंबर 2022’…122 वर्षों में रहा सबसे गर्म, मौसम विज्ञानियों ने बताया ‘ग्लोबल वार्मिंग’ का असर


नई दिल्ली: मौसम विभाग ने बुधवार को बताया कि 2022 का दिसंबर महीना भारत में 122 साल में सबसे गर्म रहा. पूरे देश में दिसंबर 2022 के दौरान उच्चतम तापमान, न्यूनतम तापमान और औसत तापमान तीनों में ही जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई. मौसम विभाग की रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिसंबर में इस तरह गर्मी में बढ़ोतरी असामान्य बात रही और मौसम में बदलाव का यह चलन डरावना है. जलवायु विशेषज्ञों और मौसम विज्ञानियों ने कहा कि जलवायु संकट के संदर्भ में इस तरह के रिकॉर्ड की उम्मीद की जानी चाहिए.

मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर में औसत अधिकतम तापमान 27.32 डिग्री सेल्सियस, औसत न्यूनतम तापमान 15.65 डिग्री सेल्सियस और पूरे महीने का औसत तापमान 21.49 डिग्री सेल्सियस रहा, जो कि सामान्य से काफी ज्यादा है. आईएमडी के मुताबिक, इस अवधि के दौरान सामान्यतः अधिकतमत औसत तापमान 26.53 डिग्री, न्यूनतम औसत तापमान 14.44 डिग्री और महीने का औसत तापमान 20.49 डिग्री सेल्सियस रहता है. इस बार दिसंबर में औसत अधिकतम तापमान, औसत न्यूनतम तापमान और पूरे महीने का औसत तापमान सामान्य से क्रमश: 0.79 डिग्री सेल्सियस, 1.21 डिग्री सेल्सियस और 1.00 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा.

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सामान्य तापमान में वृद्धि का जलवायु परिवर्तन से गहरा संबंध
पूरे भारत में दिसंबर के दौरान औसत अधिकतम तापमान 2016 के बाद सबसे ज्यादा रहा. वहीं, औसत न्यूनतम तापमान 2008 के बाद रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. वहीं, दिसंबर के औसत तापमान की बात की जाए तो यह 122 साल के इतिहास में अपने सबसे उच्चतम स्तर पर रहा. पूर्व, उत्तर पूर्व और मध्य भारत में दिसंबर में असाधारण उच्च तापमान दर्ज किया गया. पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में, औसत अधिकतम तापमान 122 वर्षों में सबसे असधिक, 25.85 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. वर्ष 2008 (12.70 डिग्री सेल्सियस) और 1958 (12.47 डिग्री सेल्सियस) के बाद दिसंबर 2022 में औसत न्यूनतम तापमान तीसरा उच्चतम (12.37 डिग्री सेल्सियस) था. पूरे महीने का औसत तापमान भी सबसे अधिक 19.11 डिग्री सेल्सियस रहा.

विशेषज्ञों ने कहा कि ला नीना वर्ष में इतना उच्च तापमान असामान्य है. जलवायु परिवर्तन की निश्चित रूप से औसत तापमान बढ़ाने में भूमिका होती है. ‘हां, यह एक ला नीना वर्ष है लेकिन यूरोप गर्मी की लहर का अनुभव कर रहा है. उन्होंने असामान्य रूप से उच्च तापमान दर्ज किया है. जलवायु वैज्ञानिक और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन ने हिन्दुस्तान टाइम्स से कहा, ‘हमारा दिसंबर का डेटा भी यही दर्शाता है. ग्लोबल वार्मिंग ने ला नीना के प्रभाव को कमजोर कर दिया है. हमें यह विश्लेषण करने की आवश्यकता है कि दिसंबर में तापमान में वृद्धि का कारण क्या था लेकिन समग्र रिकॉर्ड को निश्चित रूप से जलवायु परिवर्तन से जोड़ा जा सकता है.’

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ला नीना और अल नीनो क्या हैं?
ला नीना, ENSO (El Nino-Southern Oscillation- ENSO) की ‘शीत अवस्था’ होती है, यह पैटर्न पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागरीय क्षेत्र के असामान्य शीतलन को दर्शाता है. वहीं, अल नीनो एक जलवायु पैटर्न है जो पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से तापन की स्थिति को दर्शाता है. यह ENSO घटना की ‘उष्ण अवस्था’ है. अल नीनो की घटना जो कि आमतौर पर एक वर्ष से अधिक समय तक नहीं रहती है, के विपरीत ला नीना की घटनाएं एक वर्ष से तीन वर्ष तक बनी रह सकती हैं. दोनों घटनाएं उत्तरी गोलार्द्ध में सर्दियों के दौरान चरम पर होती हैं. ला नीना का यह लगातार तीसरा वर्ष है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में ठंडे तापमान से जुड़ा है, और भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में भी प्रबल है.

Tags: Climate Change, Climate change in india, Global warming



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