भारत में कैंसर के इलाज में लड़के और लड़कियों में होता है भेदभाव: लैंसेट रिपोर्ट


हाइलाइट्स

भारत में कैंसर पीड़ित लड़कियों की तुलना में अस्पताल में इलाज कराने वाले लड़कों की संख्या ज्यादा है.
‘द लैंसेट ऑन्कोलॉजी’ की रिपोर्ट के मुताबिक इसका संभावित कारण समाज में लैंगिक भेदभाव है.
3 कैंसर केंद्रों के अस्पतालों के 0-19 वर्ष की उम्र के मरीजों के डेटा से इसकी पुष्टि हुई है.

नई दिल्ली. भारत में कैंसर पीड़ित लड़कियों की तुलना में अस्पताल में इलाज कराने वाले लड़कों की संख्या ज्यादा है और इसका संभावित कारण समाज में लैंगिक भेदभाव है. मेडिकल रिसर्च की पत्रिका ‘द लैंसेट ऑन्कोलॉजी’ में छपी एक स्टडी में शोधकर्ताओं ने इसके लिए 1 जनवरी, 2005 और 31 दिसंबर, 2019 के बीच भारत में तीन कैंसर केंद्रों के अस्पतालों के रिकॉर्ड से 0-19 वर्ष की उम्र के मरीजों का निजी डेटा जुटाया. इसके साथ ही उन्होंने दो जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्रियों के डेटा का भी उपयोग किया.

जिसके लिए 1 जनवरी, 2005 और 31 दिसंबर, 2014 के बीच दिल्ली में पीबीसीआर और 1 जनवरी, 2005 और 31 दिसंबर, 2017 के बीच मद्रास मेट्रोपॉलिटन ट्यूमर रजिस्ट्री के डेटा का उपयोग किया गया. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली और कैंसर संस्थान (डब्ल्यूआईए) चेन्नई के शोधकर्ताओं ने संबंधित पीबीसीआर में तीन अस्पतालों के डेटा से पुरुष और महिला लिंग अनुपात की जांच की. जिससे यह पता लगाया जा सके कि इलाज कराने वाली हर लड़की की तुलना में कैंसर से पीड़ित कितने लड़कों का इलाज चल रहा है.

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रिसर्च टीम ने स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से गुजरने वाले रोगियों के पुरुष और महिला अनुपात की अलग से जांच की. जो कैंसर के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली बहुत महंगी प्रक्रिया है. नई दिल्ली के एम्स के ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रोफेसर समीर बख्शी ने कहा कि ये पाया गया कि पीबीसीआर में पंजीकृत लगभग 11,000 कैंसर रोगियों में इलाज करा रहे लड़कों की संख्या ज्यादा है. इसी तरह तीन अस्पतालों में कैंसर से पीड़ित 22,000 बच्चों में देखा गया कि लड़कियों की तुलना में ज्यादा लड़के इलाज करा रहे थे. शोधकर्ताओं ने ये भी पाया कि दक्षिणी भारत की तुलना में उत्तरी भारत के अस्पतालों में कम लड़कियां इलाज करा रही हैं. जबकि शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले रोगियों के बीच लिंग असमानता ज्यादा थी.

Tags: Aiims delhi, Cancer, India, Lancet



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