बच्‍चों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है ये पौधा, दिल्‍ली के गंगाराम अस्‍पताल में आया मामला


नई दिल्‍ली. घरों में पौधे लगाने या बागवानी करने वाले लोगों को सावधान होने की जरूरत है. कई बार ऐसे पौधे भी उग जाते हैं जिनकी जानकारी नहीं होती या जो सामान्‍य लगते हैं लेकिन अगर घर में छोटे बच्‍चे हैं और वे उन पौधों, पत्तियों या बीजों को छू या निगल लें तो गंभीर नुकसान हो सकता है. हाल ही में दिल्‍ली के गंगाराम अस्‍पताल में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. जिसमें घर के पास खेलते-खेलते दो भाइयों ने रत्‍ती या गुंजा के बीजों को निगल लिया. जिसके चलते एक बच्‍चे की 24 घंटे के अंदर ही मौत हो गई, जबकि दूसरे बच्‍चे को बचा लिया गया.

दिल्‍ली के गंगाराम अस्‍पताल की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि घरों के आसपास आसानी से मिलने वाले रत्ती या गुंची के पौधे में लाल और काले रंग के बीज खाने से 5 साल के बच्‍चे को दौरे पड़ने लगे, फिर वह बच्‍चा कोमा में चला गया. जब त‍क किसी को कुछ समझ आता उसकी मौत हो गई. हालांकि सौभाग्‍य से उसके बड़े भाई 7 साल के आर के को दिल्‍ली के गंगाराम अस्‍पताल में लाया गया, जहां उसे बचा लिया गया.

सर गंगाराम अस्‍पताल के डिपार्टमेंट ऑफ पीडियाट्रिक इमरजेंसी एंड क्रिटिकल केयर में सीनियर कंसल्‍टेंट डॉ धीरेन गुप्‍ता बताते हैं कि मध्‍य प्रदेश भिंड से कुछ दिन पहले ही एक सात साल के बच्‍चे को गंभीर हालत में अस्‍पताल लाया गया. उस दौरान बच्‍चे में खूनी डायरिया, हाई पल्‍स रेट, मस्तिष्‍क में सूजन, सदमा ओर जहर के लक्षण दिखाई दे रहे थे. जांच के बाद बच्‍चे के शरीर में एब्रिन नाम का जहरीला पदार्थ पाया गया. यह सिर्फ एब्रस प्रिकेटोरियस यानि गुंची नाम के पौधे में मिलता है. यह पौधा काफी जहरीला और खतरनाक होता है. इसका सेवन करने वाले को अगर समय पर इलाज न मिले तो जान जा सकती है.

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डॉ. धीरेन कहते हैं कि ऐसे मरीज को गोल्‍डन आवर यानि एक घंटे के भीतर ही अस्‍पताल लेकर जाना चाहिए लेकिन इस बच्‍चे को 24 घंटे बाद लाया गया था. हालांकि इस प्रकार के मामलों में ऐसी कोई चीज खाने के दो घंटे के अंदर मरीज के पेट की पूरी सफाई और चारकोल थेरेपी देने से जान बच सकती है. लिहाजा बच्‍चे में इसके प्रभाव को कम करने के लिए सपोर्टिव मेडिकल केयर दी गई. बच्‍चे को सांस लेने में मदद की गई, उसे नस में नीडल के माध्‍यम से तरल पदार्थ दिया गया ताकि इस जहर के एक्‍सपोजर को कम किया जा सके. बच्‍चे की आंख और पेट को साफ किया गया. दौरे और लो ब्‍लड प्रेशर को सही किया गया. तब कहीं जाकर बच्चा ठीक हो पाया.

बच्‍चे में ये थे लक्षण
डॉ. बताते हैं कि मध्य प्रदेश के रहने वाले एक सात वर्षीय बच्चे को सर गंगा राम अस्पताल में एमरजेंसी में लाया गया. उस वक्त बच्चे में खूनी दस्त, दिमाग में सूजन और शरीर में जहर के लक्षण भी दिखाई दे रहे थे. डॉक्‍टरों ने जांच की तो पाया कि पाया कि बच्‍चे के शरीर में एब्रिन नाम का जहर मौजूद था जो एब्रस प्रीटोरियस यानि रत्‍ती या गुंची के पौधे के बीजों में होता है. यह न केवल शरीर के अंदर जाकर बीमारी बनाता है बल्कि कोशिकाओं को प्रोटीन बनाने से रोक देता है ऐसे में शरीर के अंदर कोशिकाएं प्रोटीन की कमी से मर जाती हैं. इस पौधे की पत्तियां, बीज सभी जहरीले होते हैं.

पेरेंट्स रखें विशेष ध्‍यान
विशेषज्ञ कहते हैं कि गुंची के बीज देखने में सुंदर होते हैं, यह लाल और काले रंग के होते हैं. ऐसे में बच्‍चों में आदत होती है कि वे आसपास से ऐसे बीजों, फूलों, पत्तियों को इकठ्ठा कर खेलते हैं और कई बार उन्‍हें निगल भी जाते हैं जो खतरनाक हो जाता है. बेहद जरूरी है कि बच्‍चे क्‍या खा रहे हैं, इसकी जानकारी पेरेंट्स रखें साथ ही बच्‍चों को भी इसकी जानकारी दें, ऐसे किसी भी प्रकार के पौधों को घर के आसपास न रखें, अगर कोई पौधा अचानक उग आए तो उसके बारे में जानकारी करें और तत्‍काल हटा दें.

आयुर्वेद में है ये पौधा उपयोगी
हालांकि जानकारी के मुताबिक गुंजा का पौधा जहरीला जरूर होता है लेकिन आयुर्वेद में इसका काफी महत्‍व है. यह कैंसर और ट्यूमर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए काम आता है. इसके बीजों से इन बीमारियों के लिए दवा तैयार की जाती है. हालांकि आयुर्वेद विशेषज्ञ भी इस प्रकार के पौधों को घर के आसपास न होने की सलाह देते हैं. इन्‍हें विशेष निगरानी में ही रखा जाता है.

Tags: Gangaram Hospital, Poison



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