हाइलाइट्स
बायो रिमॉडलिंग की मदद से चेहरे को जवान बनाया जा रहा है.
इसमें हाइल्यूरोनिक एसिड को स्किन के नीचे पहुंचाया जाता
Young skin for bio remodelling: हमेशा जवान बनने की चाहत हर किसी को रहती है. और ये जवानी सबसे पहले चेहरे से ही दिखती है. इसलिए हर कोई हमेशा चेहरा को जवान बनाने के लिए जद्दोजेहद करते रहते हैं. लेकिन उम्र के साथ-साथ चेहरे की चमक भी जाने लगती है. इसके अलावा कील-मुंहासे, एक्जिमा, सोरिएसिस, डर्मेटाइटिस, हाइपोपिग्मेंटेशन, हाइपरपिंगमेंटेशन जैसी कई समस्याएं चेहरे की स्किन को समय से पहले बूढ़ा बना देती है. ऐसे में बायो रिमॉडलिंग (bio remodelling ) का चलन तेजी से बढ़ रहा है. बायो रिमॉडलिंग की मदद से चेहरे को जवान बनाया जा रहा है. बायो रिमॉडलिंग एक प्रकार का ट्रीटमेंट है जो स्किन को जवां बनाता है. इसमें स्किन में इंजेक्ट किया जाता है.
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क्या होता है बायो रिमॉडलिंग
एचटी की खबर के मुताबिक डॉ पंकज चतुर्वेदी बताते हैं कि बायो रिमॉडलिंग इंजेक्टेबल ट्रीटमेंट है जिसमें इंजेक्शन के माध्यम से हाइल्यूरोनिक एसिड (hyaluronic acid (HA) को स्किन के नीचे पहुंचाया जाता है. हालांकि यह टिपिकल डर्मल फिलर से अलग होता है. टिपिकल डर्मल फिलर में आर्टिफिशियल केमिकल होता है लेकिन हाइल्यूरोनिक एसिड एक चिपचिपा पदार्थ है जो शरीर में स्वाभाविक रूप से बनता रहता है, लेकिन जब स्किन में इसकी कमी होने लगती है तो स्किन या त्वचा मुरझाने लगती है. उम्र या बीमारी के कारण ऐसा होना स्वभाविक है.
क्या बायो रिमॉडलिंग काम करता है
डॉ पंकज चतुर्वेदी के मुताबिक बायो रीमॉडलिंग शरीर को हाइल्यूरोनिक एसिड की सही खुराक देने के सबसे व्यावहारिक तरीकों में से एक है. जब इसे स्किन के नीचे पहुंचाया जाता है तो यह शहद की तरह फैल जाता है और स्किन के नीचे विभिन्न टिशूज और जोड़ों को हाइड्रेट कर देता है. इसके साथ ही स्किन में नमी और लचीलापन लाता है. बायो रिमॉडलिंग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे स्किन के नीचे कोलेजन और इलास्टिन का निर्माण होता है जो स्किन को संरचनात्मक सपोर्ट देते हैं. इलास्टिन और कोलेजन एक तरह का फाइबर है जो कुदरती रूप से उम्र के साथ-साथ कम होने लगता है. इससे स्किन में मॉइश्चर में कमी होने लगती है और अंततः हार्ड होने लगती है. इसके कारण स्किन संबंधी कई बीमारियां होती है.
क्या बायो रिमॉडलिंग प्रोसेस सुरक्षित है
डॉ पंकज चतुर्वेदी बताते हैं कि बायो रिमॉडलिंग प्रोसेस में सिर्फ हाइल्यूरोनिक एसिड का इस्तेमाल किया जाता है. हाइल्यूरोनिक एसिड नेचुरल शुगर है जो हमारे टिशू, आंखें, ज्वाइंट और शरीर के कुछ अन्य अंगों में मौजूद होती है. वास्तव में हाइल्यूरोनिक एसिड का साइड इफेक्ट बमुश्किल से होता है क्योंकि यह सुरक्षित है. यहां तक कि प्रेग्नेंट और नर्सिंग मदर को भी हाइल्यूरोनिक एसिड से कोई नुकसान नहीं है.
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Tags: Health, Health tips, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : November 22, 2022, 17:21 IST