जायका पश्चिम चंपारण का: पसरा हो रायता तो खाएं यह दही, मन-मिजाज-स्वाद सब हो जाएंगे सही – mangalpur market of west champaran famous for curd business dahi ka bazaar – News18 हिंदी


रिपोर्ट: आशीष कुमार

पश्चिम चंपारण. बिहार का पश्चिम चंपारण अपने आप में खास जिला है. यह जिला अपने अंदर न सिर्फ इतिहास को समेटे हुए है बल्कि खानपान के मामले में भी अपना विशेष स्थान रखता है. चंपारण के हांडी मटन का तो पूरा देश दीवाना है. इसी तरह सुगन्धित मर्चा धान का चूड़ा और दोन के बासमती चावल ने बिहार सहित देश और विदेश में भी अपनी अलग पहचान कायम कर ली है. जब खानपान की बात चल रही है तो आपको लिए चलते हैं पश्चिम चंपारण के नौतन प्रखंड स्थित मंगलपुर गांव. जहां बड़े पैमाने पर दही का कारोबार फल फूल रहा है. यहां की दही का मिजाज इतना जुदा है कि एक बार स्वाद चख लेंगे तो ताउम्र नहीं भूल पाएंगे. मंगलपुर गांव में तैयार की जाने वाली दही की भी चर्चा बिहार के कई जिलों में होती है.

स्थानीय व्यापारियों के मुताबिक, हर दिन मंगलपुर गांव में 100 से 200 क्विंटल तक दही बड़ी ही आसानी से बिक जाता है. जबकि मंगलपुर बाजार में सप्ताह में 3 दिन सोमवार, बुधवार और शनिवार को खासतौर पर दही का बाजार सजता है, जोकि ब्रिटिश काल से ही चला रहा है.

आपके शहर से (पश्चिमी चंपारण)

पश्चिमी चंपारण

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राज्य के कई जिलों में मशहूर है चंपारण की दही
मंगलपुर गांव के निवासी सुधन यादव बताते हैं कि गांव के लोगों का मुख्य काम गाय और भैंस पालन है. गाय और भैंस से मिलने वाले दूध से सभी ग्रामीण बड़े पैमाने पर दही तैयार करते हैं. जिसका व्यवसाय कर वो अपना घर परिवार चलाते हैं. चूंकि लंबे अर्से से बड़े पैमाने पर मवेशी पालन कर दूध से दही को तैयार कर उसका व्यवसाय किया जाता है, इसलिए इस कार्य में पूर्णतः पारंगत हो चुके हैं. उनके द्वारा तैयार की गई दही इतनी गाढ़ी और शुद्धता से भरपूर होती है कि राज्य के कई जिलों के लोग सिर्फ दही लेने के लिए चंपारण के मंगलपुर गांव में आना पसंद करते हैं. सूधन यादव ने बताया कि उनके यहां पूर्वी चम्पारण, गोपालगंज, छपरा, सीवान समेत अन्य कई राज्यों लोग बड़े पैमाने पर सिर्फ दही लेने के लिए आते हैं.

खास अवसर पर 5 हजार किलो तक दही किया जाता है तैयार
मंगलपुर गांव के दही विक्रेता रामजी यादव ने बताया कि गांव के लगभग 100 घरों में दही तैयार करने का कार्य किया जाता है. साधारण दिनों में एक घर से 15 से 20 किलो दही जमाई जाती है. इस प्रकार पूरे गांव से लगभग 2 हजार किलो प्रति दिन दही जमती है और बिक भी जाती है. जहां तक बात किसी खास अवसर की है तो उस समय पूरे गांव में तकरीबन 4 से 5 हजार किलो दही जमाई जाती है. हालांकि यह ग्राफ डिमांड के अनुसार बढ़ भी सकता है. रामजी ने बताया कि 1 किलो दही जमाने में कुल सवा लीटर दूध की खपत होती है. जहां तक बात दूध की कीमत की है तो 60 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से इसे बेचा जाता है. अर्थात 1 किलो दही जमाने में कुल 75 रुपए की लागत आती है. इसके बाद दही को महज 5 रुपए के मुनाफे पर 80 रुपए में बेच दिया जाता है. हालांकि शादी या फिर किसी खास अवसर पर दही की कीमत 100 से 110 रुपए तक हो जाती है. रामजी ने बताया कि एक तरफ गांव के बाहरी हिस्से के प्रत्येक घरों में 3 से 4 भैंसे पाली जाती हैं, तो वहीं दियारा क्षेत्रों में 5 से 7 भैंसे पाली जाती हैं. जहां तक बात दूध की है तो एक भैंसे से लगभग 5 लीटर दूध एक समय में प्राप्त हो जाता है.

ब्रिटिश काल से लगता आ रहा है बाजार
मंगलपुर गांव के ही रहने वाले व्यवसाई संजीव कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि गांव में दही का विशेष बाजार लगना कोई नई या बड़ी बात नहीं है. देश में जब ब्रिटिश हुकूमत थी, तब से दही का विशेष बाजार लगता आ रहा है और उन दिनों से ही ये स्थान उत्तम किस्म की दही के लिए पूरे राज्य में मशहूर है. जहां तक बात दही की बिक्री की है तो अन्य स्थानीय लोगों एवं व्यवसायियों ने बताया कि साधारणतः एक दिन में यहां 100 से 200 क्विंटल तक दही की बिक्री हो जाती है. हालांकि शादी या किसी कार्यक्रम में जरूरत पड़ने पर गांव के सभी दही व्यवसाई आपस में मिलकर ग्राहक की मांग पूरी करते हैं. समझने वाली बात यह है कि सप्ताह में तीन दिन सोमवार, बुधवार और शनिवार को दही का विशेष बाजार लगता है. बचे अन्य दिनों में भी दही तैयार करने की प्रक्रिया चलती रहती है.

ऐसे करें दही में मिलावट की पहचान
मंगलपुर गांव के दही व्यवसाई रामजी यादव बताते हैं कि दही की शुद्धता को जांचने का सबसे बेहतरीन तरीका यह है कि उसे उंगलियों के बीच में रखकर मसला जाए. मसलने पर अगर फिसलन पैदा होती है और हाथों में मक्खन या घी छूने के बाद जमने वाली चिकनाई रहती है तो दही बिलकुल शुद्ध है. अगर ऐसा कुछ भी नहीं होता है और चिकनाई भी रहती है तो फिर दही में मिलावट है. इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि किसी बर्तन में दही को रखने पर अगर फिसले नहीं या फिर गाढ़ा बनकर एक ही जगह पर जमा रहे तो उस हालत में भी दही एक नंबर है. लेकिन ठीक इसके विपरीत अगर दही फिसलने लगे या फिर पतला और पानी की तरह दिखने लगे तो उसका अर्थ दही में मिलावट है.

Tags: Bihar News, Champaran news



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