हाइलाइट्स
चीन की नई चाल, भारतीय चौकी और सीमा पर जासूसों की तैनाती
भारतीय सेना पर नजर रखने नेपाली और तिब्बतियों को भर्ती किया
कहा- हर गतिविधि पर नजर रखें और अफसरों को सूचित करें
नई दिल्ली. चीन की सेना (China Army) की एक और ड्रैगन चाल सामने आई है. इस चाल के तहत चीन ने अपनी सेना की खुफिया विंग में नेपाली (Nepali citizens) और तिब्बतियों (Tibet People) की भर्ती शुरू कर दी है. इस भर्ती का मकसद भारतीय सेना के संदेशों और बातचीत को समझ कर उन्हें तत्काल चीनी सैन्य अधिकारियों को समझाना है जिससे वे अपनी तत्काल कार्रवाई शुरू कर सके. भर्ती किए गए सभी तिब्बती और नेपालियोंं की पोस्टिंग भारतीय सीमा से सटे इलाकों में करने को कहा गया है. चीन की इस चाल के बारे में NEWS18 इंडिया के पास खुफिया रिपोर्ट की काॅपी भी मौजूद है.
भारतीय सेना पर अपनी पकड़ मजबूत करने के इरादे से चीनी सेना ने एक और चाल चली है. इस चाल के तहत तिब्बत आटोनेमस रिजन में जिसे टीएआर भी कहा जाता है- हिंदी जानने वाले तिब्बतियों और नेपालियों की भर्ती की जा रही है. सूत्रों का कहना है कि चीनी सेना अनेक बार भारतीय सेना के कुछ वायरलैस मैसेज या मोबाइल फोन पर हुई बातचीत सुन लेती है. इसके अलावा जब कई बार भारत और चीन सेना के ग्रुप आमने सामने पड़ जाते हैं तो उनकी समझ में भारतीय सेना की भाषा नहीं आती और उनका मानना है कि कई बार इस चक्कर में उन्हें लेने के देने पड़ जाते हैं.
हिंदी समझने और उसे चीनी भाषा में अनुवादित करने वालों की भर्ती
ऐसे में चीनी सेना के आलाकमान ने निर्णय लिया कि भारतीय सीमा से लगे इलाको में ऐसे नेपाली और तिब्बती लोगो की भर्ती की जाए जिनकी समझ में हिंदी पूरी तरह से आती हो और वे तत्काल सारी बात समझ कर चीनी सेना को अंग्रेजी या चीनी में समझा दें और चीनी सेना उस पर तत्काल एक्शन ले ले.
सूत्रोंं ने बताया कि इस भर्ती का दूसरा मकसद भारतीय सैन्य ग्रुपों की बातचीत भी सुनना है. तिब्बत आटोनेमस रिजन लद्दाख से लेकर नेपाल तक आता है और वहां का बार्डर कई जगहों पर पूरी तरह से खुला हुआ है. जहां नेपाली या तिब्बती लोग अपने काम से आते जाते रहते हैं.
नेपाली और तिब्बती लोगों की खुफिया जासूसों के रूप में तैनाती
चीनी सेना की चाल है ऐसे इलाको में इन खुफिया जासूसों की तैनाती की जाए क्योंकि कई बार भारतीय सेना के ग्रुप यह समझते हैं कि सामने वाले तिब्बती या नेपाली को हिंदी समझ में नहीं आती या उनका मानना होता है कि वे क्या नुकसान पहुंचा पायेंगे और इसी बात का फायदा चीनी सेना उठाना चाहती है. चीन के ये अंडरकवर जासूस पूरी बात सुन कर उन्हें अपने आकाओं के पास पहुंचायेंगे और कई बार सैन्य ग्रुप कई खास बाते भी आम बातचीत में कर जाते हैं. मसलन कौन सा ग्रुप कहां जा रहा है, कितने दिन वहां रहेगा किस की कब वापसी है, जो ग्रुप गया है उसने कोई खास बात बताई है…
ऐसे लोगों की भर्ती जिस पर भारतीय सेना को शक न हो
सूत्रोंं ने बताया कि पिछले दो सालों में जब कुछ बार चीनी सेना के लोग भारतीय सेना के सामने आए और जब तक वे समझते तब तक भारतीय सेना अपना एक्शन ले चुकी थी. आमने -सामने के हुए झगडे़ के एनालिसिस के बाद चीनी आलाकमान ने यह निष्कर्ष निकाला था कि हिंदी जानने वाले लोगों की भारतीय सीमा के पास बेहद जरूरत है लिहाजा ऐसे लोगों की भर्ती की जाए जो चीनी भी ना हो और जिन पर भारतीय सेना भी जल्दी से अविश्वास ना कर सके.
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Tags: China Army, Nepali citizens, Tibet People
FIRST PUBLISHED : November 24, 2022, 20:31 IST