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इस साल फरवरी के अंत में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और आपूर्ति श्रृंखला के बाधित होने से घरेलू मुद्रा पर भारी दबाव पड़ा है।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि रुपये पर अगले साल दबाव बना रह सकता है और यह अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 85 प्रति डॉलर के स्तर तक भी जा सकता है। इस साल फरवरी के अंत में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और आपूर्ति श्रृंखला के बाधित होने से घरेलू मुद्रा पर भारी दबाव पड़ा है।
रुपया 19 अक्टूबर को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 83 प्रति डीलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया था।
वहीं, बृहस्पतिवार को डॉलर की तुलना में रुपया 23 चढ़कर 81.70 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) बैंकिंग और आर्थिक सम्मेलन में चर्चा के दौरान कई अर्थशास्त्रियों ने कहा कि चालू खाते के बढ़ते घाटे को देखते हुए रुपये पर दबाव बना रहेगा, जिसके इस वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद के चार प्रतिशत पर रहने का अनुमान है।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार, पिछले महीने से निर्यात में गिरावट के बाद विदेशी मुद्रा आय पर भी दबाव है। वर्ष 2023 में रुपये के 82 के उच्चस्तर और 85 के निचले स्तर के बीच रहने का अनुमान है।
आर्थिक शोध संस्थान इक्रियर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) दीपक मिश्रा और जेपी मॉर्गन इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री साजिद चिनॉय ने अगले साल रुपये के 85 के निचले और 83 के उच्चस्तर पर रहने का अनुमान लगाया है।
एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने डॉलर के मुकाबले रुपये के 80 से 82 के बीच रहने के सबसे सकरात्मक अनुमान लगाया है। यह अनुमान रुपये और डॉलर का मौजूदा स्तर है।
इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि अगले साल की दूसरी छमाही में रुपया बेहतर प्रदर्शन करना शुरू कर सकता है।
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