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अदालत ने कहा कि ऐसी बीमा पॉलिसी के परीक्षण के बाद उन्हें शीघ्रता से मंजूरी दी जानी चाहिए। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि फरवरी में जारी इरडा के परिपत्र के बाद अब बीमा कंपनियों के लिए यह अनिवार्य है कि वे विकलांग व्यक्तियों के लिए पॉलिसी की पेशकश करें।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) से कहा कि वह बीमा कंपनियों से विकलांग व्यक्तियों के लिए पॉलिसी लाने को कहे।
अदालत ने कहा कि ऐसी बीमा पॉलिसी के परीक्षण के बाद उन्हें शीघ्रता से मंजूरी दी जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि फरवरी में जारी इरडा के परिपत्र के बाद अब बीमा कंपनियों के लिए यह अनिवार्य है कि वे विकलांग व्यक्तियों के लिए पॉलिसी की पेशकश करें।
न्यायमूर्ति सिंह ने पिछले साल नियामक को विकलांग व्यक्तियों के लिए उत्पादों को तैयार करने के लिए सभी बीमा कंपनियों की बैठक बुलाने का निर्देश दिया था।
उन्होंने अपने आदेश में कहा, ‘‘परिपत्र के संदर्भ में कंपनियों को विकलांग व्यक्तियों के लिए एक उत्पाद पेश करना है… ऐसा आने वाले वक्त में करना है। हमारी एक सामाजिक जिम्मेदारी है।’’
अदालत ने कहा कि उसके पिछले निर्देशों के अनुसार इरडा ने एक बैठक बुलाई और 27 फरवरी, 2023 को एक आदर्श नीति के साथ विकलांग व्यक्तियों के संबंध में परिपत्र जारी किया।
अदालत विकलांगता से पीड़ित कुछ व्यक्तियों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने बीमा प्रदाताओं से स्वास्थ्य बीमा कवरेज की मांग की थी।
अदालत ने मामले में शामिल तीन बीमा कंपनियों से कहा कि वे 15 मई तक इरडा के पास अपनी नीतियां जमा करें। इसके साथ ही नियामक से इसपर की गई कार्रवाई पर स्थिति रिपोर्ट देने को भी कहा।
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